पहाड़ बच्चों को
दिखाता है चाँद
पहाड़ बच्चों को दिखाता है -
अपने कंधों पर पाँव-पैदल चलते बादल
पहाड़ पर
सबसे पहले पहुँचते हैं बच्चों के सपने
फिर सपने
बादलों पर छलाँग लगा
चाँद पर चढ़ जाते हैं
इशारे से
बड़े होते बच्चों को पहाड़ बुलाता है
वह उलीचना चाहता है उनकी
आँखों में मजबूत इरादे
बाहों पर मानसून को दुलारते पहाड़ को देख
बड़े बच्चों को ऐसा लगता है
जैसे समंदर छू रहा है आसमान
प्रभात सरसिज
५ जुलाई, १९९२
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