दादा जी हांकते थे विक्टोरिया फिटिन
घोड़ों की चाल पर
जुगलबंदी करती थी
उनके मुरेठे की कलगी
सरगोशी की इच्छा प्रकट होते ही
पसंदीदा ऑस्टिन या मॉरिस के
क्लच-ब्रेक पर
तैनात होते थे पिता के पैर
मैं उनकी स्वीडिस कार चलाता हूँ
उनकी तीन पीढ़ियों से
मेरी तीन पीढ़ियों का अटूट रिश्ता है
जब उनकी सुन्दर पत्नी
रंगीन परिधानों में सज
सवार होती हैं
तो मलिन-वसनों में लिपटी
मेरी संतप्त अर्धांगिनी
देखती है उन्हें अपलक
प्रभात सरसिज
२३ अगस्त, १९९४
घोड़ों की चाल पर
जुगलबंदी करती थी
उनके मुरेठे की कलगी
सरगोशी की इच्छा प्रकट होते ही
पसंदीदा ऑस्टिन या मॉरिस के
क्लच-ब्रेक पर
तैनात होते थे पिता के पैर
मैं उनकी स्वीडिस कार चलाता हूँ
उनकी तीन पीढ़ियों से
मेरी तीन पीढ़ियों का अटूट रिश्ता है
जब उनकी सुन्दर पत्नी
रंगीन परिधानों में सज
सवार होती हैं
तो मलिन-वसनों में लिपटी
मेरी संतप्त अर्धांगिनी
देखती है उन्हें अपलक
प्रभात सरसिज
२३ अगस्त, १९९४
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