Monday, 29 August 2011

विपक्ष में है हवा

हवा तुम्हारे पक्ष में नहीं है

मशक्कत से थकी सांवरी लड़की की
परेशानी को
हेंठ करने वाली हवा     जब
गुस्से में होती है  तो
जल-समूहों के गर्भ को भी कंपा देती है 
अंतरिक्ष-पोल पर जब 
उठा-पटक करती है बादलों को
तो धरती के दृढ़ वृक्ष भी
जड़ों से उखड़ने लगते हैं 
सूर्य को संसार की दृष्टि में
लाने वाली यही हवा
जब करती है किरणों से संसर्ग 
तो मच जाता है जल-संसार में हलचल
फिर
इन्हीं मेघों के कन्धों पर
रखती है कपोल तो 
कौंध उठती हैं बिजलियाँ

 जवान होती इस सांवरी लड़की को 
 लम्पट निगाह से मत देखो लैंडलॉर्ड !
 जवान होती इस लड़की के
 बिल्कुल करीब है हवा
 जबकि
 हवा तुम्हारे पक्ष में नहीं है


प्रभात सरसिज
२८ जुलाई, १९९२

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