Wednesday, 31 August 2011

दहकेंगे फूल

आज फूल  दहकेंगे

लाऊंगा फूल 
छू सकोगी तुम फूल
इन पर कल तितलियाँ लगी थीं 
आज
तुम्हारी हथेलियों में गंध है हल्दी की 


कल सुबह 
इनकी पंखुड़ियों का 
कन्धा बनाया था बुलबुल ने 
आज
गजरा बन गाजेंगे तुम्हारे शीश पर 

कल 
फूल से सटे थे यात्रा में थके 
दो पाखी
फिर नयी उड़ान पर चल पड़े
उड़ान से पहले इनके चोंच मिले थे
आज वही फूल लाऊंगा
तुम्हारे बेसर को अपना दर्पण बनायेंगे फूल
तुम्हारे होंठों के वंशधर हैं फूल
सजे सुशोभित होते हैं फूल - जैसे
सांस्कृतिक मोर्चा की बैठकों के अध्यक्ष-मंडल 
हमारे-तुम्हारे प्यार की तरफदारी करते हैं फूल
हत्या-अन्याय का विरोध करते हैं फूल

आज लाऊंगा फूल
छू सकोगी तुम फूल
कल फूल महके थे
आज दहकेंगे फूल

प्रभात सरसिज
२३ फरवरी, १९९२ 

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