Monday, 29 August 2011

चुप रहेगा इतिहास

अत्याधुनिक आदिम हवश
पूरी करेंगे वहशी 
अस्थियों के ठाठर की छाती में 
केवल धुकधुकी रहेगी सदी के 
पतन के बाद

जय-पराजय की दुंदुभी 
नहीं बजेगी 
बर्बरता अपनी चोली बदल 
मानवता को अपने बटन से नापेगी
भूखंड विशेष के
आकाश को
स्पुतनिक पर टिका कर
नचाएगी डायन
मेरी ही तरह चुप रहेगा इतिहास
भूगोल उसके छत्र में झालर बन नाचेगा
सदी के पतन के बाद

प्रभात सरसिज
२५ अगस्त, १९९४

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