Monday, 29 August 2011

गुलाबी छाया

सावन के आकाश को देखती हुई  
लड़की हँस रही है
लड़की की आँखें उधर लगी हैं 
जहाँ पनियाले बादल के पीछे सूरज छुपा है
लड़की की आँखों से 
आँख-मिचौनी कर रहा है सूरज

लड़की हँस रही है आकाश देखती हुई
उसकी व्यस्त मुट्ठियों में 
भरे हुए साग
हसिये पर कट-कट कर करतन बन रहे हैं
लड़की को शातिर निगाह से मत देखो लैंडलॉर्ड !
लड़की की हँसी की ताकत पहचानो
हसिये की धार पर लड़की के होठों की 
गुलाबी छाया पड़ रही है
लड़की हँस है


प्रभात सरसिज
२४ जुलाई, १९९२

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